व्रत त्योहार

विवाह में आ रही बाधा को दूर करता है मंगला गौरी व्रत

आज मंगला गौरी व्रत है, इस साल सावन के दूसरे दिन ही पहला मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। इस दिन मां गौरी पार्वती की पूजा होती है, तो आइए हम आपको मंगला गौरी व्रत की पूजा विधि और महत्व के बारे में बताते हैं।

जानें मंगला गौरी व्रत के बारे में 

सावन के महीने में भगवान शंकर की पूजा की जाती है। इसके साथ ही व्रत भी रखा जाता है। पंडितों का मानना है कि भोलेनाथ का व्रत करने से आपकी सभी मनोकामना पूरी होती है। सावन के महीने का मंगलवार भी काफी खास होता है। सावन के मंगलवार को मंगला गौरी का व्रत रखा जाता है। इस व्रत में मां गौरी की पूजा होती है।

मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त 

पहला मंगला गौरी व्रत 23 जुलाई, मंगलवार को किया जाएगा। इस दिन श्रावण कृष्ण तृतीया तिथि रहेगी। इस तिथि की स्वामी देवी पार्वती ही हैं। इस दिन आयुष्मान, सौभाग्य और त्रिपुष्कर नाम के 3 योग बनेंगे। त्रिपुष्कर योग में की गई पूजा, उपाय आदि का फल 3 गुना होकर मिलता है। ये हैं शुभ मुहूर्त-

– सुबह 09:15 से 10:54 तक

– सुबह 10:54 से दोपहर 12:33 तक

– दोपहर 12:33 से 02:12 तक

– दोपहर 03:51 से शाम 05:30 तक

मंगला गौरी व्रत से जुड़ी पौराणिक कथा

पौराणिक कथा के अनुसार, एक शहर में धर्मपाल नाम का एक व्यापारी रहता था। उसकी पत्नी बहुत खूबसूरत थी और उसके पास धन संपत्ति की भी कोई कमी नहीं थी लेकिन संतान न होने के कारण वे दोनों बहुत ही दुखी रहा करते थे। कुछ समय के बाद ईश्वर की कृपा से उनका एक पुत्र की प्राप्ति हुई परंतु वह अल्पायु था। उसे श्राप मिला था कि 16 वर्ष की आयु में सर्प के काटने से उसकी मृत्यु हो जाएगी। संयोग से उसकी शादी 16 वर्ष की आयु पूर्ण होने से पहले ही हो गई। जिस कन्या से उसका विवाह हुआ था उस कन्या की माता मंगला गौरी व्रत किया करती थी।

मां गौरी के इस व्रत की महिमा के प्रभाव से  चलते उस महिला की कन्या को आशीर्वाद प्राप्त था कि वह कभी विधवा नहीं हो सकती। कहा जाता है कि अपनी माता के इसी व्रत के प्रताप से धर्मपाल की बहु को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति हुई और उसके पति को 100 वर्ष की लंबी आयु प्राप्त हुई। तभी से ही मंगला गौरी व्रत की शुरुआत मानी गई है। धार्मिक मान्यता है कि ये व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति तो होती ही है साथ ही दांपत्य जीवन में सदैव ही प्रेम भी बना रहता है।

मंगला गौरी व्रत के दिन करें इन नियमों का पालन 

मंगला गौरी व्रत के दिन क्रोध ना करें और किसी को अपशब्द भी नहीं कहें। व्रत के दौरान साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखें। आप हर साल सावन माह में इस व्रत को कर सकते हैं. लेकिन अगर आप इस व्रत को किसी कारण छोड़ना चाहते हैं तो सावन महीने के अंतिम मंगलवार को इस व्रत का उद्यापन जरूर करें। उद्यापन के बिना व्रत पूर्ण नहीं होता है.। इस बात का भी ध्यान रखें कि उद्यापन कम से कम पांच तक मंगला गौरी व्रत रखने के बाद ही करें।

मंगला गौरी व्रत में पूजन सामग्रियों जैसे चूड़ी, सुपारी, पान, लौंग, फूल आदि की संख्या 16 में रहनी चाहिए। यदि आप अकेले 16 की संख्या में सामग्री अर्पित नहीं कर सकते हैं तो 16 महिलाएं एक साथ बैठकर पूजा कर सकती हैं। सभी 16 महिलाएं एक-एक कर माता को सुहान के सामान, फल, आटे के लड्डू आदि अर्पित करते रहें।

मंगला गौरी व्रत के दिन ऐसे करें पूजा

पंडितों के अनुसार मंगला गौरी व्रत बहुत पवित्र होता है, इसलिए विशेष पूजा आवश्यक है। पंडितों के अनुसार सावन के पहले मंगला गौरी व्रत वाले दिन सूर्योदय से पहले उठकर स्नान आदि करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें। इसके बाद साफ लकड़ी की चौकी पर लाल रंग का वस्त्र बिछाएं। फिर चौकी पर मां गौरी की प्रतिमा या तस्वीर स्थापित करें। व्रत का संकल्प लेकर आटे से बना हुआ दीपक प्रज्वलित करें। इसके बाद धूप, नैवेद्य फल-फूल आदि से मां गौरी का पूजन करें। पूजा पूर्ण होने पर मां गौरी की आरती करें और उनसे प्रार्थना करें।

मंगला गौरी व्रत में करें इन सामग्रियों का इस्तेमाल 

मंगल गौरी व्रत की पूजा के लिए एक चौकी, लाल कपड़ा, माता पार्वती की प्रतिमा या फोटो आदि लें। इसके अलावा, पांच प्रकार के फल, माता पार्वती के प्रिय पुष्प, धूप, दीप, नैवेद्य, अक्षत, सुपारी आदि लें। साथ ही, घी का दीपक और कलावे की बत्ती भी लें। कलावे की बत्ती से दीया जलाना इस दिन लाभकारी होता है।

मंगला गौरी व्रत पर करें ये खास उपाय

पंडितों के अनुसार यदि किसी व्यक्ति के विवाह में समस्याएं आ रही है, तो वह मंगला गौरी व्रत के शुभ दिन पर एक मिट्टी का खाली पात्र बहते जल में प्रवाहित कर दें। माना जाता है कि ऐसा करने से शीघ्र विवाह के योग बन सकते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगला गौरी व्रत की पूजा के बाद गरीब व जरूरतमंदों को लाल मसूर की दाल का दान करें। इस दौरान लाल रंग के वस्त्र भी दान कर सकते हैं। माना जाता है कि इससे कुंडली में मंगल ग्रह मजबूत होता है।

मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। इस दौरान आप जरूरतमंद लोगों को शहद का दान करें। फिर महादेव की पूजा करें। माना जाता है कि इससे दांपत्य जीवन सुखमय रहता है। मंगला गौरी व्रत की पूजा के दौरान ‘ॐ गौरीशंकराय नमः’ मंत्र का 21 बार जाप करें। माना जाता है कि ऐसा करने से कुंडली में मंगल दोष दूर होता है। इस व्रत के दिन मां पार्वती और शिव जी की पूजा करें। इसके बाद ब्राह्मणों को भोजन कराएं। कहते हैं कि इससे शिव जी और पार्वती माता की कृपा बनी रहती है।

मंगला गौरी व्रत का महत्व

शास्त्रों के अनुसार मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाएं और कुंवारी लड़कियां रखती हैं। मंगला गौरी व्रत करने से मंगल दोष दूर होता है और शीघ्र विवाह के योग बनते हैं। इस दिन विधि पूर्वक मां गौरी की पूजा करने से अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है।

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