व्रत त्योहार

सावन कालाष्टमी व्रत से सभी कष्ट होते हैं दूर

आज सावन कालाष्टमी है, इस साल सावन कालाष्टमी पर विभिन्न प्रकार के योग बन रहे हैं। इस  योग में काल भैरव देव की पूजा करने से साधक की सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होंगी, तो आइए हम आपको सावन कालाष्टमी व्रत का महत्व एवं पूजा विधि के बारे में बताते हैं।

जानें सावन कालाष्टमी के बारे में 

हर माह कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाया जाता है। इस साल यह त्योहार 27 जुलाई को मनाया जाएगा। इस दिन भगवान शिव के रौद्र रूप काल भैरव देव की पूजा की जाती है। तंत्र सीखने वाले साधक कालाष्टमी पर काल भैरव देव की कठिन साधना करते हैं। उनकी कृपा से साधक को तंत्र विद्या में सिद्धि मिलती है। इस शुभ दिन पर सामान्य जन काल भैरव देव के निमित्त व्रत उपवास रखते हैं। पंडितों के अनुसार इस सावन कालाष्टमी पर कई मंगलकारी योग का निर्माण हो रहा है।

वहीं सावन में पड़ने वाली कालाष्टमी तिथि को उत्तम फलदायी माना गया है। पंडितों के अनुसार कालाष्टमी तिथि के दिन कालभैरव बाबा की पूजा विधिवत रूप से करने से व्यक्ति के जीवन में चल रही सभी परेशानियां दूर हो जाती है और ग्रहदोषों से भी छुटकारा मिल सकता है। कालाष्टमी के दिन विधिवत रूप से पूजा करने से नकारात्मक ऊर्जा से छुटकारा मिल जाता है। वहीं इस बार कालाष्टमी के दिन रवि योग बन रहा है।

सावन कालाष्टमी से जुड़ी पौराणिक कथा

काल भैरव की उत्पत्ति को लेकर कई कथाएं प्रचलित हैं। इनमें से एक कथा के अनुसार एक बार ब्रह्मा जी शिव भगवान का वेश धारण उनके गणों को भी साथ लेकर अशिष्ट टिप्पणी की। उसके बाद शिव जी बहुत क्रुद्ध हुए और वहां विशाल प्रचंड काया उत्पन्न हुई जिसने ब्रह्मा जी का संहार के लिए उन्हें दौड़ाया। उस काया ने अपने नाखून से ब्रह्मा जी के शीर्ष को काट दिय। उसके बाद शिव जी ने उसे काया को शांत किया। यह वीभत्स काया जिस दिन प्रकट हुई उस दिन अष्टमी थी। उस काया का नाम बाद में भैरव पड़ा। भैरव को बाद में काल भैरव तथा बटुक भैरव के नाम से पूजा जाने लगा। ब्रह्मा जी एक शीर्ष काटने के भैरव के ऊपर ब्रह्म हत्या का आरोप लगा। जिसके कारण वह बहुत दिनों तक जंगल में विचरण करते रहे। उसके बाद उन्हें काशी में जाकर मुक्ति मिली।

सावन कालाष्टमी का ऐतिहासिक महत्व

काल भैरव भगवान शिव के रुद्र अवतार हैं, जिन्हें विनाश और संरक्षण का देवता माना जाता है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, समद्र मंथन के दौरान निकले विष को पीने के बाद भगवान शिव का शरीर गरम हो गया था। इस गरमी से उनके शरीर से पसीना निकला, जिससे काल भैरव की उत्पत्ति हुई। भक्तों का मानना है कि काल अष्टमी के दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति, भय और चिंताओं से राहत, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। हिंदू धर्म में मासिक कालाष्टमी का बहुत धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व माना जाता है। यह पर्व भगवान काल भैरव की कृपा प्राप्त करने का सबसे अच्छा अवसर होता है। इस शुभ दिन काल भैरव की पूजा-पाठ करने से जीवन में चल रही परेशानियों से छुटकारा मिलता है। इस दिन को कालाष्टमी इसलिए कहते हैं क्योंकि इस तिथि के दिन भगवान काल भैरव प्रकट हुए थे।

काल भैरव को बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक माना जाता है। काल अष्टमी के दिन उनकी पूजा करने से भक्तों को ग्रहों के दुष्प्रभावों से मुक्ति, भय और चिंताओं से राहत, सुख-समृद्धि और अच्छे स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा करने से पापों का नाश होता है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। सावन माह की कालाष्टमी व्रत के दिन कालभैरव बाबा की पूजा-अर्चना करने से व्यक्ति को शुभ फलों की प्राप्ति हो सकती है। साथ ही कष्टों से छुटकारा मिल जाता है। इसलिए इस दिन पूजा-अर्चना विधिवत रूप से करने से लाभ हो सकता है।

सावन कालाष्टमी पर बन रहे हैं ये योग

कालाष्टमी पर मंगलकारी धृति योग का निर्माण हो रहा है। इस योग का निर्माण देर रात 10 बजकर 44 मिनट तक है। इस शुभ योग में काल भैरव देव की पूजा उपासना कर सकते हैं। वहीं, सावन कालाष्टमी पर रवि योग का भी संयोग बन रहा है। रवि योग दोपहर 01 बजे तक है। इस दिन अभिजीत मुहूर्त 12 बजकर 07 मिनट से लेकर दोपहर 1 बजे तक है।

सावन कालाष्टमी व्रत के दिन करें ये काम, मिलेगा लाभ

पंडितों के अनुसार सावन कालाष्टमी व्रत के दिन मांसाहार, मदिरा और लहसुन-प्याज का सेवन नहीं करना चाहिए। कालाष्टमी के दिन काल भैरव यानी भगवान शिव को बेलपत्र जरूर अर्पित करें। इस दिन भगवान काल भैरव को 11 नींबू से बनी हुई माला अर्पित करें और माला से 11 बार मंत्र ॐ ह्रीं काल भैरवाय नमः का जाप करें। सावन कालाष्टमी के दिन किसी भी प्रकार की हिंसा या लड़ाई झगड़ा नहीं करना चाहिए। सभी के साथ प्रेमपूर्वक रहें, किसी को भी कष्ट न पहुंचाएं। इस दिन दान-पुण्य करना भी बहुत ही शुभ माना जाता है।

सावन कालाष्टमी पर ऐसे करें पूजा 

पंडितों के अनुसार सावन कालाष्टमी हिन्दुओं का खास त्योहार होता है। इस दिन खास पूजा करें, इस दिन कालाष्टमी के दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें और स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

पूजा स्थल को साफ करें और सजाएं। भगवान काल भैरव की मूर्ति या प्रतिमा स्थापित करें। दीपक, धूप, नैवेद्य, फूल, फल आदि पूजा सामग्री अर्पित करें। भगवान काल भैरव का मंत्र जाप करें या स्तोत्र का पाठ करें। आरती उतारें और भोग लगाएं। व्रत रखने वाले भक्त पूरे दिन निर्जला या सात्विक भोजन का सेवन करें। रात में पूजा के बाद व्रत का पारण करें।

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