वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को प्राप्त होता है अखंड सौभाग्य, जानिए महत्व
आज यानी की 06 जून को वट सावित्री व्रत किया जा रहा है। इस व्रत को सावित्री अमावस्या या वट पूर्णिमा के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुख-समृद्धि की कामना से व्रत रखती है। मान्यता के अनुसार, वट सावित्री व्रत करने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद मिलता है और वैवाहिक जीवन में खुशियां आती हैं।
वहीं बहुत सारे लोगों का मानना होता है कि वट सावित्री व्रत का महत्व करवा चौथ के व्रत जितना होता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पूजा लंबी आयु, सुख-समृद्धि और अखंड सौभाग्य की कामना कर वट वृक्ष की पूजा-अर्चना करती हैं। तो आइए जानते हैं शुभ मुहूर्त और पूजन विधि के बारे में…
पूजा मुहूर्त
हर साल ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि पर वट सावित्री व्रत किया जाता है। हिंदू पंचांग के मुताबिक 5 जून की शाम को 05:54 मिनट पर अमावस्या तिथि की शुरूआत हो रही है। वहीं शाम 06 जून को शाम 06:07 मिनट पर इस तिथि की समाप्ति होगी। उदयातिथि के हिसाब से 06 जून 2024 को वट सावित्री व्रत किया जाएगा। वहीं पूजा का मुहूर्त सुबह 11:52 मिनट से दोपहर 12:48 मिनट पर होगा।
पूजन विधि
सुबह जल्दी उठकर स्नान आदि कर महिलाएं पीले या लाल रंग के वस्त्र पहनें।
फिर श्रृंगार कर तैयार हों और एक थाली में पूजन सामग्री को सजा लें।
इसके बाद वट वृक्ष के नीचे बैठकर सावित्री और सत्यवान की प्रतिमा स्थापित करें।
अब बरगद के पेड़ की जड़ में जल अर्पित कर अक्षत, फूल, गुड़, भीगा चना और मिठाई चढ़ाएं।
बरगद के पेड़ में सूत लपेटते हुए सात बार परिक्रमा करें और आखिरी में प्रणाम कर परिक्रमा पूरी करें।
परिक्रमा पूरी करने के बाद हाथ में चने लेकर वट सावित्री व्रत की कथा सुनें और पूजा खत्म होने के बाद ब्राह्मणों को दान करें।
वट सावित्री व्रत का महत्व
सुहागिन महिलाएं वट सावित्री व्रत के दिन सुबह जल्दी स्नान आदि कर श्रृंगार करती हैं और व्रत का संकल्प लेती हैं। मान्यता के अनुसार, इस दिन जो भी महिला विधि-विधान से वट सावित्री व्रत कर पूजा करती है, अखंड सौभाग्य का वरदान प्राप्त होता है।