उत्तर प्रदेश।लखनऊ

सपा सांसद अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से मिली बड़ी राहत, सजा हुई रद्द

लखनऊ। समाजवादी पार्टी के गाजीपुर से सांसद अफजाल अंसारी को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। उच्च न्यायालय ने सोमवार को गाजीपुर कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया, जिसमें अफजाल अंसारी को 2005 में भाजपा विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के मामले में गैंगस्टर एक्ट के तहत चार साल की सजा सुनाई गई थी।

राहत मिलने से सांसदी पर संकट टला
इस निर्णय के बाद अफजाल अंसारी की सांसदी पर खतरा समाप्त हो गया और वह सांसद बने रहेंगे। अदालत ने उत्तर प्रदेश सरकार और कृष्णानंद राय के बेटे पीयूष कुमार राय की उन याचिकाओं को भी खारिज कर दिया, जिसमें गाजीपुर सांसद की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी। यह फैसला अफजाल अंसारी के राजनीतिक करियर के लिए महत्वपूर्ण साबित हुआ है, क्योंकि अब वे अपनी संसदीय जिम्मेदारियों को निर्विघ्न रूप से जारी रख सकते हैं।

कृष्णानंद राय हत्या मामले में मिली थी सजा
उच्च न्यायालय का फैसला न्यायमूर्ति एस. के. सिंह ने सुनाया। वर्ष 2005 में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) विधायक कृष्णानंद राय की हत्या के बाद अफजाल पर यह मामला दर्ज किया गया था। गाजीपुर की सांसद-विधायक अदालत ने 29 अप्रैल 2023 को अफजाल को गैंगस्टर कानून के मामले में दोषी करार दिया था और उन्हें चार साल की जेल की सजा सुनाई थी। इसके अलावा उन पर एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया था।

सांसद के तौर पर हो गए थे अयोग्य
अदालत ने अफजाल के भाई मुख्तार अंसारी को भी दोषी करार देते हुए 10 वर्ष की जेल की सजा सुनाई थी। इसके बाद, अफजाल सांसद के तौर पर अयोग्य हो गए, जिसके बाद उन्होंने उच्च न्यायालय में अपील दायर की। यह अयोग्यता उनके राजनीतिक भविष्य के लिए एक बड़ी बाधा थी, जिसे अब हाईकोर्ट के फैसले ने हटा दिया है।

24 जुलाई 2023 को मिली थी जमानत
उच्च न्यायालय ने 24 जुलाई 2023 को अफजाल को जमानत दे दी थी, लेकिन इस मामले में उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। जिसके चलते उन्हें जेल से तो रिहा कर दिया गया, लेकिन उनकी सांसदी बहाल नहीं हुई। इसके साथ ही वह भविष्य में चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए थे क्योंकि उन्हें सुनाई गई सजा दो वर्ष से अधिक की थी।

अफजाल अंसारी के लिए यह फैसला एक बड़ी राहत है, जिससे न केवल उनकी सांसदी बच गई है बल्कि उनके राजनीतिक करियर पर मंडरा रहे संकट के बादल भी छंट गए हैं। अब देखना यह होगा कि आगे की राजनीतिक स्थिति क्या मोड़ लेती है, खासकर उनके विरोधियों के लिए जो इस मामले को राजनीतिक मुद्दा बना रहे थे।

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