धर्म

आषाढ़ गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करने से मिलता है व्रत का संपूर्ण फल

हिंदू धर्म में आषाढ़ महीने के कृष्ण पक्ष की गणेश चतुर्थी का विशेष महत्व होता है। इस दिन भगवान गणेश की विधि-विधान से पूजा-अर्चना करने का विधान है। बता दें कि जो भी जातक विधि-विधान से गणेश चतुर्थी का व्रत और पूजन करता है, उसको भगवान गणेश का आशीर्वाद प्राप्त होता है और जातक के जीवन के सभी कष्टों का अंत हो जाता है।

अगर आप भी गणेश चतुर्थी का व्रत करते हैं, तो आपको गणेश चतुर्थी व्रत कथा का पाठ करना या सुनना चाहिए। इस कथा का पाठ करने से जातक को व्रत का संपूर्ण फल प्राप्त होता है। ऐसे में आज इस आर्टिकल के जरिए हम आपको गणेश चतुर्थी व्रत कथा के बारे में बताने जा रहे हैं।

गणेश चतुर्थी व्रत कथा

एक बार मां पार्वती ने गणेश जी से पूछा कि हे पुत्र आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को किस गणेश का पूजन करना चाहिए। तो भगवान गणेश ने कहा- मां पूर्व काल में भगवान श्रीकृष्ण से युधिष्ठिर ने यह सवाल किया था उसको सुनिए। श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को जवाब देते हुए कहा कि आषाढ़ माह की कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को लम्बोदर का विधि-विधान से पूजा-अर्चना करनी चाहिए। बहुत पहले महिष्मति नगरी में महिजीत नामक धर्मात्मा राजा था। उस राजा के कोई संतान नहीं थी, जिस कारण वह दिन रात चिंता में रहता था।

राजा महिजीत पुत्र प्राप्ति के लिए बड़ा दान-पुण्य करता था, दान-पुण्य करते-करते वह वृद्ध हो गया लेकिन उसको पुत्र की प्राप्त नहीं हुई। तब राजा ने अपने नगर के ब्राह्मणों और प्रजाजनों को बुलाया और कहा कि वह धर्म के मार्ग पर चलता है, दान-पुण्य करता है। लेकिन फिर भी मुझे संतान की प्राप्ति नहीं हुई इसके पीछे क्या कारण है। उस समय एक कल्प में जिसका लोम गिरता था ऐसे तपस्वी लोमश ऋषि ने राजन से कहा कि आपको भक्तिपूर्वक संकटों के विनाश गणेश चौथ का व्रत करना चाहिए।

ऋषि लोमेश ने कहा कि आषाढ़ माह में भगवान श्री गणेश के लम्बोदर स्वरूप की पूजा करने से आपको पुत्र रत्न की प्राप्ति होगी। ऋषि की बात मानकर राजा महिजीत ने पूरी श्रद्धा और भक्ति के साथ गणेश चतुर्थी का व्रत किया। भगवना श्री गणेश की कृपा से राजा की रानी सुदक्षिणा को गर्भधान हुआ और उन्होंने एक सुंदर बालक को जन्म दिया। राजा ने पुत्र प्राप्ति पर बड़े उत्सव का आयोजन किया और ब्राह्मणों व याचकों को दान दिया।

भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर से कहा कि श्रीगणेश का ऐसा प्रभाव है कि जो भी जातक भक्तिपूर्वक यह व्रत करता है और पूजा करता है, उसके सभी कष्टों का अंत हो जाता है। इसलिए तुम भी यह व्रत करो, इस व्रत को करने से तुम शत्रुओं पर विजय प्राप्त करोगे। बता दें कि जो भी जातक आषाढ़ चतुर्थी का व्रत कर भगवान गणेश की व्रत कथा का पाठ करता है और दूसरों को सुनाता है, तो जातक के सभी विघ्नों का नाश हो जाता है और जातक की सभी मनोकामना पूरी होती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *